दिवाली ने दिल्ली को बनाया ‘दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर’, AQI 1752 पहुंचा; ग्रीन पटाखों के दावे हुए फेल

दिवाली की रौनक के बाद दिल्ली-एनसीआर एक बार फिर जहरीली हवा के गहरे संकट में डूब गया है। मंगलवार को राजधानी दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर बन गई, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 1752 तक पहुंच गया। सुप्रीम कोर्ट के सख्त निर्देशों और सरकार के ‘ग्रीन पटाखों’ के दावों के बावजूद, प्रदूषण नियंत्रण के सभी प्रयास विफल साबित हुए हैं।

वैश्विक रैंकिंग में दिल्ली सबसे ऊपर

स्विस कंपनी आइक्यू एयर की वैश्विक रैंकिंग ने चिंताजनक तस्वीर पेश की है। दुनिया के 5 सबसे प्रदूषित शहरों में से 3 अकेले भारत के हैं:

  1. दिल्ली – AQI 1752

  2. कोलकाता – AQI 1733

  3. कराची – AQI 1674

  4. लाहौर – AQI 1655

  5. मुंबई – AQI 162

पिछले 4 साल में सबसे खराब स्थिति

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के आंकड़े बताते हैं कि इस बार दिवाली पर प्रदूषण का स्तर पिछले चार सालों में सबसे अधिक रहा:

वर्ष दिवाली से एक दिन पहले दिवाली के दिन दिवाली के अगले दिन
2022 259 312 302
2023 220 218 358
2024 328 339 316
2025 256 345 352

ग्रीन पटाखों के दावे खोखले साबित

सुप्रीम कोर्ट के सख्त निर्देशों और सरकार की ओर से ग्रीन पटाखों के दावों के बावजूद हकीकत यह रही कि:

  • ग्रीन पटाखों के नाम पर बेचे गए पटाखों से भी भारी प्रदूषण हुआ

  • नकली पटाखों पर रोक लगाने के प्रयास नाकाम रहे

  • पानी के छिड़काव जैसे उपाय पर्याप्त साबित नहीं हुए

देश के 200 शहर ‘बेहद खराब’ श्रेणी में

CPCB की रिपोर्ट के मुताबिक देश के 264 शहरों में से लगभग 200 शहरों में वायु प्रदूषण का स्तर ‘बेहद खराब’ श्रेणी में दर्ज किया गया। इनमें नोएडा, गाजियाबाद, लखनऊ, बल्लभगढ़, बहादुरगढ़ और मेरठ जैसे प्रमुख शहर शामिल हैं।

पराली और कचरा जलाना भी जिम्मेदार

विशेषज्ञों का मानना है कि सिर्फ पटाखे ही नहीं, बल्कि पराली जलाने और कचरा प्रबंधन की खराब व्यवस्था ने भी प्रदूषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। दिल्ली के 38 में से 36 निगरानी केंद्र ‘रेड जोन’ में पहुंच गए हैं।

अमिताभ कांत ने उठाए सवाल

नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अमिताभ कांत ने इस स्थिति पर गंभीर चिंता जताते हुए कहा, “यदि लास एंजेलिस, बीजिंग और लंदन अपने यहां वायु प्रदूषण को नियंत्रित रख सकते हैं तो फिर दिल्ली क्यों नहीं?”

उन्होंने एक एकीकृत कार्य योजना की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि इसके लिए:

  • फसल और बायोमास जलाना बंद करना

  • थर्मल पावर प्लांट और ईंट भट्टों को मॉडर्नाइज करना

  • 2030 तक परिवहन को इलेक्ट्रिक में बदलना

  • कंस्ट्रक्शन की धूल पर सख्त नियंत्रण

  • कचरा प्रबंधन में सुधार करना जरूरी है

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