क्या है आंकड़ों की कहानी?
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार में रुपया डॉलर के मुकाबले 88.73 पर कमजोर खुला और कारोबार के दौरान यह गिरावट जारी रही। आखिरकार, रुपया 88.79 प्रति डॉलर के स्तर पर अस्थायी रूप से बंद हुआ, जो पिछले बंद भाव से 4 पैसे की गिरावट को दर्शाता है। यह स्तर पिछले सप्ताह के निचले स्तर 88.7975 को भी पार कर गया है, जो एक बेहद खराब संकेत है।
गिरावट के पीछे कारण?
रुपये की इस रिकॉर्ड गिरावट के पीछे कई प्रमुख कारण जिम्मेदार हैं:
भारत-अमेरिका व्यापार तनाव: दोनों देशों के बीच व्यापार समझौता अभी भी अटका हुआ है, जिसने निवेशकों में अनिश्चितता पैदा की है। इस तनाव ने बाजार के सेंटीमेंट को नकारात्मक रूप से प्रभावित किया है।
एच-1बी वीजा शुल्क में वृद्धि: हाल ही में अमेरिका द्वारा एच-1बी वीजा शुल्क बढ़ाए जाने के फैसले ने रुपये पर दबाव और बढ़ा दिया है। विश्लेषकों का मानना है कि इससे भारत के प्रौद्योगिकी क्षेत्र के राजस्व पर असर पड़ सकता है और विदेशी निवेशकों की इक्विटी निकासी को बल मिल सकता है।
विदेशी निवेशकों की बिकवाली: वीजा शुल्क बढ़ने के बाद विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) ने भारतीय शेयर बाजारों में जमकर बिकवाली की है। पिछले छह सत्रों में उन्होंने भारतीय बाजारों से 2 अरब डॉलर से अधिक की निकासी की है, जो सितंबर की शुरुआत के मुकाबले काफी तेज है।
त्योहारी सीजन में डॉलर की मांग: अक्टूबर में शुरू हो रहे त्योहारी सीजन से पहले सोने के आयात को लेकर आभूषण आयातकों की डॉलर की मांग भी रुपये के लिए एक चुनौती बन गई है।
इस गिरावट को रोकने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) सक्रिय रूप से हस्तक्षेप कर रहा है। आरबीआई ने मुद्रा bazaar को स्थिर करने और रुपये में आई गिरावट की रफ्तार को कम करने के लिए सरकारी बैंकों के जरिए डॉलर की बिकवाली शुरू की है। मंगलवार को भी यह हस्तक्षेप जारी रहा, लेकिन बाहरी दबावों के चलते इसका सीमित प्रभाव देखने को मिला।
भविष्य के लिए क्या है मंजर?
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर अमेरिका के साथ व्यापार तनाव जल्द सुलझता नहीं है और वैश्विक आर्थिक स्थितियां मजबूत बनी रहती हैं, तो रुपया अगले कुछ दिनों में और कमजोरी दिखा सकता है। डॉलर का मजबूत होना और तेल की बढ़ती कीमतें भी रुपये के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती हैं।